ब्रह्मानंदम परमसुखदं केवलं ज्ञानमुर्तिम ।
द्वान्दातीतम गगन सदृशम तत्वमास्यादी लक्ष्यम ।
एकं नित्यं विमलं अचलं सर्व धिः साक्षीभूतम ।
भावातीतम त्रिगुण रहितम सद्गुरुम तं नमामि ।
जो एक मात्र हमेशा रहने वाला, मल (गन्दगी) रहित, अचल, ब्रम्हानंद को देनेवाला, परम सुख को देने वाला, केवल ज्ञान स्वरुप है जो सभी द्वंदों से अलग रहता है (परे रहता है ), उसके तत्व को बताने के लिए उसे आकाश के जैसा कह दिया जाता है जो सभी भावो से अलग रहता है जो तीनो गुणों से भी अलग है जो सबकी बुद्धि का साक्षी है वही सद्गुरु है उसी को प्रणाम करता हूँ ।